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एक समुद्री तूफान में फंसे दो चोर राह भटक कर पहुंच जाते हैं इच्छाधारी नागों के द्वीप पर और वहां बचाते हैं नाग राजकुमारी विसर्पी की जान। नागों का राजा मणिराज उन्हें नागद्वीप पर स्थायी रूप से रहने की इजाजत दे देता है। परंतु इस उपकार के बदले वे शैतान कर लेते हैं नागद्वीप के नागों की इच्छाधारी शक्ति की स्रोत दिव्य मणि की चोरी और मणिराज की हत्या करके जा पहुंचते हैं जुर्म की दुनिया के बादशाह शंकर शहंशाह के पास। इसी के साथ पड़ती है एक गहरे षडयंत्र की नींव जिसका निशाना था नागराज।
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